" मनुज मन बड़ा बावरा जाकी उल्टी चाल, जो बाँधे उसको त्यागे जो त्यागे उसका गुलाम ! "
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्…
प्रिये संग्रहिका , आँखों को दाँव पर लगा कर एक बार फिर आयी हूँ तुमसे बात करने। नींद भी जबरदस्त भरी हुई है। बात पूरी हो जाये तो सौभाग्य समझना आज। राम का नाम लेकर शुरू करती हूँ। लाइब्रेरी से आने के बाद पानी पीकर बैठी ही थी कि मोहल्ले की बच्चियाँ बुलाने आ गयीं …
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , पता है इस बीच तुमसे बात करने के समय पर दिमाग खाली हो जा रहा है। और पढ़ते वक्त तो इतने विचार दौड़ते हैं दिमाग में कि मन करता है बस कागज़ कलम लेकर उतार ही दूँ पन्नो पर। लेकिन फिर दिमाग में दौड़ते विचारों के घोड़ों को पकड़ कर बाँध देती हूँ क्योंकि प…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , और बताओ कैसी हो ? मेरी दुवाओं से ठीक ही होगी। कोई पूछने वाली बात नहीं ! चलो आज एक कहानी सुनती हूँ... एक लड़का था , बड़ा ही प्रतिभावान और तीव्र बुद्धि वाला था। नाम था याज्ञवलक्य ( सुना सुना लग रहा ? )। कोई भी बात झट से सीख जाता था। जब बड़ा ह…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , उम्मीद करती हूँ मेरे पिछले ब्लॉग्स की आधी-अधूरी बातों से अब तक तो उभर चुकी होगी तुम। वादा करती हूँ आज बिना बात पूरी किये नहीं जाऊँगी। अच्छा ये बताओ, मैं हर बार आती हूँ कुछ भी उटपटांग बताना शुरू कर देती हूँ और तुम इतने ध्यान से सुनती हो ये ज…
Svaghoshit Lekhika
Dear Sangrahika, I have been gazing through a thought since morning. Or why to say since morning but last night. I have travelled through every circumstances, build every possible scenarios that would come up to my mind . At last cancelled out every options p…
Svaghoshit Lekhika
दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी ? काहे को दुनिया बनायी....!! ? प्रिये संग्रहिका , क्या लगता है ? दुनिया किसने बनाई होगी ? और क्या सोच कर बनाई होगी ? ये सवाल जीवन में कभी न कभी हर इंसान के मन में आता ही आता है। लेकिन फिर हम सब इस सवाल को नज़रअंदाज़ करक…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , वैसे तो बहुत सारी चीजे हैं जो मुझे पसंद नहीं है। पर क्या फर्क पड़ता है मेरी पसंद नापसंद से !? क्योंकि मैं तो एक आम आदमी हूँ। नहीं, आदमी नहीं, औरत हूँ। वैसे फर्क पड़ता तो होगा वरना नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी रोकर और चिल्ला कर ना पूछते " अरे चा…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , पता है कई बार हम जितना सोचते हैं चीजे उतनी बड़ी होती नहीं हैं। हमारा दिमाग चीजों को बड़ा बना देता है। मुझे पता है जब हम किसी परिस्थिति में फँसे होते हैं तो उसको तीसरे परिपेक्ष्य से देखना मुश्किल होता है। बचपन में किताबों में एक अभ्यास दिया …
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , बहुत मन है आज किसी विषय पर तुमसे चर्चा करने का , पर बिना किसी निर्धारित विषय के चर्चा की भी जाये तो कैसे और किसपर !? चलो फिर भी शुरू करती हूँ बात, आज अचानक फिर से सामने आयी एक समस्या का। समस्या क्या ही,,,,,,,उस समस्या की अनुभूति का। ये आखि…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , पिछले कुछ दिनों से सारी पोस्ट ड्राफ्ट में पड़ी हैं। पोस्ट नहीं की क्योंकि अधूरी है। अधूरी इसलिए रह गयी क्योंकि कुछ को लिखते समय नींद आ गयी। और कुछ को तो लिखते-लिखते उत्साह ही खत्म हो गया। और एक बार उत्साह खत्म हुआ तो फिर उस विषय को लिखने क…
Svaghoshit Lekhika
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्…