वैसे तो बहुत सारी चीजे हैं जो मुझे पसंद नहीं है। पर क्या फर्क पड़ता है मेरी पसंद नापसंद से !? क्योंकि मैं तो एक आम आदमी हूँ। नहीं, आदमी नहीं, औरत हूँ। वैसे फर्क पड़ता तो होगा वरना नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी रोकर और चिल्ला कर ना पूछते " अरे चाहिए क्या औरत को !? " ख़ैर औरत क्या चाहती है ये तो खुद औरत को भी नहीं पता रहता है लेकिन आदमी कुछ ऐसा जरूर चाहता है जो " राहगीर " को पता है। तभी तो वो कहते हैं - " आदमी चूतिया है कुछ भी चाहता है !!"
वैसे तुम्हे क्या लगता है, मेरे जैसे आम इंसान की पसंद नापसंद के विषय में किसी को कोई फर्क पड़ता होगा !?
पड़ता होगा अवश्य पड़ता होगा ! बताती हूँ कैसे..... ( आदमी को इंसान ही समझा जाये। )
आम आदमी क्या चाहता है इसका महत्व आम आदमी को छोड़कर बाकी सबको पता है। राजनितिक दल और नेताओ को इससे बहुत फर्क पड़ता है कि आम आदमी क्या सोचता है। वे आम आदमी की सोच में उतर कर अपनी सोच आम आदमी की सोच से मिलाते हैं और ऐसा करने में अगर उन्हें मजा नहीं आता या असफल हो जाते हैं तो अपनी सोच को आम आदमी की सोच में उतार देते हैं।
व्यापारी इस बात का विशेष ध्यान रखता है कि उसका ग्राहक, जो कि अधिकतर आम आदमी है , वो क्या चाहता है। उसकी क्या मांग है ! आम आदमी जो चाहता है व्यापारी उसी माल ( वैसे आजकल ये शब्द बड़ा दूषित हो गया है, स्टॉक समझ लीजिये ) को मुहैय्या कराता है। कई बार आम आदमी स्वयं नहीं जानता कि वो क्या चाहता है तो व्यापारी उसे वो देते हैं जो वो बेचना चाहते हैं। और आम आदमी अक्सर कंफ्यूज ही रहता है कि उसे क्या चाहिए।
अच्छा ये आम आदमी होता कौन है ? जो आम खाये वो आम आदमी ! ( अरे नहीं नहीं, ये कोई इंटरनल की मिड टर्म परीक्षा नहीं है जहाँ हिंदी विषय में रस क्या है पूछा जाये तो गन्ने का रस , निम्बू का रस, मुसम्मी का रस और संतरे का रस लिख दिया जायेगा और किसी को पता नहीं चलेगा !!)
जो आम खाये वो आदमी आम तो कतई नहीं हो सकता है। अच्छा विडंबना देखो "आम" आम होकर भी फलों में सबसे खास है। अरे किधर आ गयी...आम आदमी से आम पर !! ( ऐसे ही परीक्षा में विषय घुमाया जाता है जब प्रश्न क्या है उसका उत्तर पता नहीं होता !)
कुछ रोज़ पहले लाइब्रेरी से घर आने के लिए ऑटो के इंतज़ार में सड़क के एक किनारे खड़ी थी। वहीं पर मुश्किल से २ मिनट के भीतर एकदम बढियाँ क्वालिटी वाले आम आदमी की झलक दिखाई दी।
हुआ यों कि एक ऑटो चालक मुँह में पान मसाला भरे ऑटो चलाता हुआ तेज रफ़्तार में आ रहा था। मुँह में भरे पान मसाले से मिलती हुई saliva की मात्रा जब अधिक हो गयी तो उसको मासाला थूकने की उत्कंठा हुई होगी। तो उसने ऑटो की स्पीड थोड़ी धीमी की और पच्च से थूका तो वो पास खड़े एक सज्जन क पैर पर जा गिरा। इतने में वो सज्जन जो मुँह में पान मसाला दबाये पास खड़े अपने एक मसाला चबाने वाले साथी के साथ कुछ महत्वपूर्ण वार्तालाप में व्यस्त थे उन्होंने मुँह से मसाला थूका और ज़ोर से चिल्ला कर कहा , " सार नहिकै, आन्हर हौ का !? द्वी ठू हाथी यस खड़ा मनई नाय देखाय देत !! " ऑटो वाला तो ख़ैर आगे बढ़ गया था लेकिन शायद बात सुन ली थी उसने तो पलट कर जवाब में कहा था , " तनी बगली खड़ा होए जातेव, सड़कियेप खड़ा हव यकदम !" दूर निकल जाने की वजह से आवाज़ धूमिल हो गयी थी... इतना ही स्पष्ट हो पाया था।
इधर झल्लाए हुए सज्जन जिनके पैर पर saliva मिश्रित पान मसाला पड़ा था वो तिलमिलाए हुए थे। उनको शांत करने के लिए , उनके बगल में खड़े सज्जन मुँह से पान मसाला थूकते हैं, जो पास ही जा रही चींटियों के झुण्ड पर पड़ता है, और कहते हैं "अरे जाए देव गुरु, अंधरै रहा तब्बै थूक दिहिस उपरै ! "
दोनों सज्जनों के मुँह था मुँह में जबान थी तो विरोध किया मसाला ऊपर थूके जाने का। ऑटो वाले के पास भी मुँह था मुँह में जबान थी तो उसके भी प्रतिरोध किया अपने बचाव में। लेकिन बेचारी चींटियाँ , उनके मुँह तो है पर मुँह में जबान नहीं ! वो कैसे विरोध करतीं इस कृत्य का जो उनके साथ हुआ था ? काट कर !?
मुझे लगता है आम आदमी होना आसान है। थोड़ी बहुत कठिनाईयां भी हैं पर वो manageable है। आम आदमी के जीवन में प्राइवेसी बहुत होती है , gossip करने वाले तत्वों से यदि बच पाए तो ! उन्हें इस बात की बहुत चिंता नहीं होती की मैं घर से बहार निकलते वक्त क्या पहनू की स्टाइल maintain रहे और updated भी लगे। उन्हें हर वक्त परफेक्ट दिखने की चिंता नहीं होती। उनकी किसी छोटी सी गलती को पूरे मीडिया में हफ्ते भर घसीटा नहीं जाता। वो क्या पहनते हैं , क्या खाते हैं ,खाते हैं भी की नहीं इस बात से मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता ना ही उन्हें कोई परवाह होती है।
बेवजह विषय को घसीटा जाये तो बात कहीं की कहीं चली जाती है। अब आगे नहीं लिखूंगी.....
जानती हूँ जब पता था ऐसा होगा तो पहले ही विषय को घसीटना छोड़ देना चाहिए था , लेकिन क्या करूँ मेरी तो आदत है विषय को घसीटने की क्योंकि मैं तो एक आम आदमी हूँ !!!!!!!
चलो अब विदा दो !