kuch khas nhi ..!!
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्ल…
प्रिये संग्रहिका , बड़े दिन हो गया ना मिले ? जानती हूँ वादा किया था उसके बाद भी नियमित तुमसे मिलने नहीं आ पा रही हूँ। इसका पूरा श्रेय जाता है मेरे ख़राब समय मैनेजमेंट को। ये बात सच ही है २४ घंटे हर किसी की झोली में है। कुछ उसका सही उपयोग करके आगे निकल जा रहे ह…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , पता है नए वर्ष में नई विधा लिखने का सोचा था। पर तुमसे कुछ ज्यादा ही बँध गयी हूँ। या यूँ कह लो कि अब अपने कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलना चाहती हूँ। जनवरी निकलने को है, आधी तो निकल ही चुकी है। आधी कब निकल जाएगी खबर भी नहीं होगी। बड़ी प्रसिद्…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका, जल्दी आऊँगी बोलकर कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गयी ना ? चलो आ ही गयी हूँ तो थोड़ी गपसप ही कर ली जाये। आज संक्राति है। मकर संक्रांति। आज दिन और रात दोनों ही सामान अवधि के होंगे। लेकिन भागती दौड़ती इस दुनिया में किसे फर्क पड़ता है कि दिन और रात कितने बड़…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , कैसी हो ? मालूम है जल्दी आऊँगी कहकर भी अक्सर आने में देर कर देती हूँ। सच बताऊं तो वाकई इतना व्यस्त रहती नहीं हूँ मैं कि तुमसे रोज़ मिलने आने का समय ना निकल पाऊँ। पर वही बात है ना प्राथमिकता हर बार आलसपने को चली जाती है। शुरू में तुमसे छोटी छ…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका, नए वर्ष की शुभकामनाये ! जानती हूँ पूरे चार दिन लेट हूँ। पर जनवरी का तो पूरा महीना नए साल की बधाई देने का ऑफिसियल महीना है। 2025 आ ही गया आखिरकार। कह तो ऐसे रही हूँ जैसे इसी का इंतज़ार था। इस बार के रसोलूशन्स भी तैयार कर ही लिए हैं लेकिन 4 दि…
Svaghoshit Lekhika
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्ल…