kuch khas nhi ..!!
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्ल…
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्लत है ! हाँ , बहुत व्यस्त रहने लगी हूँ। तुमसे बात करने के लिए केवल समय नहीं इत्मीनान भी साथ लाना पड़ता है और मैं समय ले भी आऊँ तो अब इत्मीनान …
Svaghoshit Lekhika
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्रा यहीं से होकर गुजरेगी । पिछली बार जब आयी थी तो तुमसे क्या-क्या बातें की थीं ये भी ध्यान नहीं, पिछली बार तो शायद पिछले महीने ही आयी थी। वैस…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , बहुत दिनों से आने का सोच रही हूँ ,पर वही है किसी न किसी कारण से तुमसे मिलना टल जा रहा था। ४ तारीख को ही आ गयी थी यहाँ , यहाँ यानि प्रयाग। उसके बाद तो बहुत कोशिश की आने की पर व्यस्तता इतनी अधिक थी कि तुमसे मिलना टालती रही। तुम्हारे इंतज़ार की…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , आज पूरे १ माह हो चुके हैं। गला आज भी उतना ही रुँधा है। आँखे आज भी उतनी ही नम हैं। जीवन में पहली दफा किसी इतने करीबी को खोया है। बच्चे रहो तो चीजे उतनी समझ नहीं आती हैं। लेकिन थोड़ा बड़े हो जाने के बाद अपने साथ साथ उन सभी का दुःख समझ आने लगता…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , अस्वीकारता बहुत मुश्किल होता है कुछ चीज़ों को स्वीकार पाना। दिल और दिमाग दोनों ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि अम्मा नहीं हैं। बीते 15-20 कैसे गुज़रें हैं ये मुझे खुद को नहीं पता। घर में जिसको देखो उसी की आँखें नम रहती थीं। इसीलिए किसी की …
Svaghoshit Lekhika
" बच्ची अब बचबै ना ! " ( यही आखिरी बात हुई थी अम्मा से दो दिन पहले। ) " अम्मा यस काहे कहत हू !! " ( और मैं इस वाक्य के आगे कुछ बोल ही नहीं पायी , गला रुंध गया था। ) १ महीने पहले यहीं थीं अम्मा। लेकिन परीक्षाओं के चलते ज्यादा बात चीत न…
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका, गुस्से की भेंट चढ़ी बहने ! तुम्हारी दो बड़ी बहनों को गुस्से की भेंट चढ़ा चुकी हूँ। तुम्हारे तक भी उस गुस्से की लपटें पहुँचने ही वाली थीं लेकिन शुक्र मनाओ तुम्हारी बड़ी बहनों ने तुमको बचा लिया। उनकी भेंट ने ही मेरे हृदय में इतना अधिक कंपन पैदा कि…
Svaghoshit Lekhika
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्ल…