DIARY
kuch khas nhi ..!!
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्ल…
November 15, 2025
प्रिये संग्रहिका , अस्वीकारता बहुत मुश्किल होता है कुछ चीज़ों को स्वीकार पाना। दिल और दिमाग दोनों ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि अम्मा नहीं हैं। बीते 15-20 कैसे गुज़रें हैं ये मुझे खुद को नहीं पता। घर में जिसको देखो उसी की आँखें नम रहती थीं। इसीलिए किसी की …
Svaghoshit Lekhika
" बच्ची अब बचबै ना ! " ( यही आखिरी बात हुई थी अम्मा से दो दिन पहले। ) " अम्मा यस काहे कहत हू !! " ( और मैं इस वाक्य के आगे कुछ बोल ही नहीं पायी , गला रुंध गया था। ) १ महीने पहले यहीं थीं अम्मा। लेकिन परीक्षाओं के चलते ज्यादा बात चीत न…
Svaghoshit Lekhika
कैसी हो सखी ? सबसे पहले तो कान पकड़ कर माफ़ी चाहूँगी ! हाँ , पता है महीनों बीत गए आये। पर क्या करूँ ? अब समय की बड़ी किल्ल…