" मनुज मन बड़ा बावरा जाकी उल्टी चाल, जो बाँधे उसको त्यागे जो त्यागे उसका गुलाम ! "
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्…
प्रिय संग्रहिका , बड़ी तीव्र इच्छा है पुनः आरम्भ करने की। कुछ गलतियाँ, कुछ भूल पूर्वरत/undo नहीं किये जा सकते हैं। कुछ पन्नो के दूषित होने पर, कई बार, पन्ने नहीं फाड़े जाते, बल्कि पूरी की पूरी किताब ही फेंक देनी पड़ती है !! मेरे पास भी एक किताब है, जिस…
Svaghoshit Lekhika
प्रिय संग्रहिका , तुम्हारा उत्तर मिला, मेरे पिछले ब्लॉग में पूछे गए प्रश्न का। मैंने पूछा था... " कैसी हो ? " तुम्हारा जवाब आया - " तुमसे अच्छी हूँ। " इससे अधिक तुमने कुछ लिखा ही नहीं। अब इन तीन शब्दों से मैं क्या अर्थ निकालूँ ? मेरे …
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका , कैसी हो ? ( उत्तर की अपेक्षा है ! ) मेरी चिंता मत करना , मैं ठीक हूँ। बस कभी-कभी ओवर थिंकिंग अधिक हावी हो जाती है। पर फिर संभाल लेती हूँ। पिछले २ हफ़्तों से बहुत कुछ हुआ है जिसका ब्यौरा तुम्हें देना बाकी है। अच्छा , कभी तुम्हारे साथ ऐसा…
Svaghoshit Lekhika
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्…