DIARY
" मनुज मन बड़ा बावरा जाकी उल्टी चाल, जो बाँधे उसको त्यागे जो त्यागे उसका गुलाम ! "
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्…
September 04, 2025
प्रिये संग्रहिका, कुछ बातें पता होते हुए भी हमें उनका अहसाह नहीं होता है। या शायद हम उस वास्तविकता को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं या फिर हममें वो वास्तविकता स्वीकारने की शक्ति ही नहीं होती है। हम पता नहीं क्यों वास्तविकता से इतना डरते हैं ! आज एक स्टेटस में …
Svaghoshit Lekhika
प्रिये संग्रहिका, कैसी हो ? मेरे बिना चैन की साँस तो खूब आती होगी। मेरी ऊल-जुलूल बातों से छुट्टी जो मिल जाती है। बहुत दिनों से आना चाह रही थी तुमसे मिलने, पर बिल्कुल समय नहीं मिल पा रहा था। या यूँ कह लो कि जिस इत्मीनान से तुमसे बात करने की इच्छा होती है वो इ…
Svaghoshit Lekhika
प्रिय संग्रिहका, बस अभी-अभी घर के लिए निकली हूँ प्रयाग से । पता नही तुमको बताया था या नही, पर हाँ अब आगे की जीवन यात्…