मेरे विषय में जानने योग्य कुछ भी नहीं है...लेकिन मेरे जीवन के अनुभव सम्भवतः आपके जानने योग्य हैं !!
मैं यहाँ इस आशा या उम्मीद से बिल्कुल नहीं लिख रही हूँ कि मुझे कोई पढ़ेगा, मैं केवल इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मैं लिखना चाहती हूँ...अभिव्यक्त करना चाहती हूँ अपनी सभी भावनाओं को जो मैं किसी और से नहीं कह सकती..या जो मैं किसी और से कहना नहीं चाहती !
कुछ भावनाओं की गोपनीयता बनी रहनी चाहिए ताकि जाने-अनजाने भी कोई उन भावनाओं की आड़ में हमें तिरस्कृत ना कर सके !
उन बातों को अवश्य लिखिए जो आपको परेशान कर रही हों, जो आप किसी से कह नहीं सकते...ताकि समय बीतने पर जब कभी आप वापस जाएँ उन बातों को पढ़ने तो आपको पता चल सके कि आप उन बातों को लेकर क्यों परेशान थे और आपका उन बातों को लेकर परेशान होना कितना व्यर्थ था या आप उन बातों को किसी और को बताने में क्यों हिचक महसूस कर रहे थे !
कभी तो जीवन में आपको भी ऐसा अवश्य प्रतीत हुआ ही होगा जब आप किसी बात को लेकर अत्यधिक परेशान होंगे लेकिन समय बीत जाने के बाद आपको उन बातों पर परेशान होना निरर्थक जान पड़ा होगा।
मेरे साथ ऐसी घटनाएँ अक्सर ही घटित हो जाती हैं क्योंकि मेरी आदत है बेवजह बातों पर चिंता करना या आवश्यकता से अधिक सोच-विचार करना जिसे आजकल की भाषा में हम overthinking कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर अफवाहें, मुझे सबसे अधिक परेशान मेरे विषय में उड़ रही अफवाहें ही करती हैं। लेकिन अफवाह का दूसरा नाम ही झूठ है। अफवाहें झूठी होती हैं और झूठी बातों से डरकर या परेशान होकर हमें अपनी ऊर्जा खर्च नहीं करनी चाहिए।
अफवाहें दरअसल हल्की और खोखली होती हैं इसीलिए उड़ती भी बहुत हैं !
लेकिन अब समझ आ चुका है कि अफवाहों से डरना और उन पर अपनी बहुमूल्य ऊर्जा खर्च करना व्यर्थ है। क्योंकि आपके सच्चे व्यक्तित्व को झूठे विवरण कभी छू भी नहीं सकते ।
अब रहा प्रश्न मेरे परिचय का कि मैं कौन हूँ !?
तो मैं लिखती तो हूँ लेकिन लेखिका नहीं हूँ....फिर भी खुद को लेखिका का दर्जा दे रखा है इसीलिए स्वघोषित लेखिका हूँ !!
आज समझ में आया कि लोग अपनी डायरी में वह बातें क्यों लिखते हैं जो उनको सबसे ज्यादा परेशान करती है।
ReplyDelete💯💯
ReplyDelete